आज है देश का हमारे हाल कुछ ऐसा
ना है युवाओ के पास नौकरी ना है जेब मे पैसा
फिर रहे है मारे ग्रेजुएट बेचारे ...
फिर भी ना कोई बात करे ये मुद्दा है कैसा।
टी.वी पर बैठ कर यू तो रोज़ मुँह फाड़ते है...
बेरोजगारी पर बात करो तो ये नेता दूर भागते है।
चुनाव से पहले तो लाख नौकरियां गिनाते है...
जीत जाने के बाद कुर्सी, जो पुरानी नौकरी है वो भी छीन जाते है।
ना जाने कब तक इस बेरोजगारी में मरना है...
कभी तू भी कुछ कमाएगा ये सवाल अब तो हमारा घर भी पूछता है।
घिस गयी चप्पलें जिस बाप की हमको पढ़ाने में,
आज भी फ़टे कपड़ो में हमारे लिए अपने साहबो से सिफारिशें करता है।
हर त्योहार के आने पर हम अंदर से थोड़े उदास हो जाते है
जेब मे पैसे ना हो तो कहा किसी त्योहार पर नए कपड़े पहन पाते है।
जिस माँ ने अपना पेट काट के हमे आजतक पाला है...
उस माँ तक के लिए इस बेरोजगारी में हम कहा कभी कोई खुशी खरीद पाते है
हर बार चुनते हम सरकार उनकी जो नौकरी दिलाने का वादा करते है...
फिर अगले 5 साल हम इंतज़ार उस वादे का ही करते है।
5 साल के बाद जब फिर से चुनाव आता है...
उस चुनावी वादे में वो फिर से नौकरी देंगे यही बात दोहराते है,
इस चक्कर मे हर बार बस हम नेताओ पर एक्सपेरिमेंट ही करते जाते है।
सब अपनी जेब भरते और हमे ठेंगा दिखाकर चलते बनते है।
अब दोष किसको दे किसको कहे हम, गलत हो तुम...
हमने पढ़ाई अच्छे से नही की या अपनी कोशिशों को कहे गलत हो तुम...
जनसंख्या वृद्धि है इस बेरोजगारी का कारण या राजनीति को कहे गलत हो तुम...
अपने देश का मीडिया है जिम्मेदार या अपनी जिम्मेदारियों से भागने वालो को कहे गलत हो तुम।।
आवाज़ उठाने वाले भी सभी स्वार्थी है।
जबतक काम है तभीतक विरोध में साथी है।
काम निकलते ही सबसे पहले ये ही भागते है।
कुछ पल की मदद के नाम पर अपनी सत्ता मांगते है।
कब ये सब होगा खत्म कब मिलेगी सभी को नौकरी
ये बेरोजगारी ऐसी है जैसे बिन सांसे जी रहे हो जिंदगी।।।
Today's bitter truth....gr8 initiative to draw an attention of government....owsem lines bhai....
ReplyDeleteThnk u brother...
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