आज मैं आपको एक ऐसी कविता पढ़ाने जा रहा हु जो यू तो एक शब्द पर लिखी गयी है लेकिन हर बार आने वाले इस शब्द का भाव हर बार अलग है । ये कुछ पंक्तिया है "श्री हरिवंशराय बच्चन जी" के द्वारा हिंदी अनुवाद की हुई "मधुशाला" की -
1
मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला;
पहले भोग लगा लूँ तेरा,
फिर प्रसाद जग पाएगा;
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला ।
2
एक बरस में एक बार ही
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला;
पहले भोग लगा लूँ तेरा,
फिर प्रसाद जग पाएगा;
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला ।
2
एक बरस में एक बार ही
जगती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाज़ी,
जलती दीपों की माला;
दुनिया वालो, किन्तु, किसी दिन
आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दीवाली,
रोज मनाती मधुशाला !
एक बार ही लगती बाज़ी,
जलती दीपों की माला;
दुनिया वालो, किन्तु, किसी दिन
आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दीवाली,
रोज मनाती मधुशाला !
3
धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है
जिसके अंतर की ज्वाला,
मन्दिर, मस्जिद, गिरजे-सबको
तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादरियों के
फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का
स्वागत मेरी मधुशाला ।
धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है
जिसके अंतर की ज्वाला,
मन्दिर, मस्जिद, गिरजे-सबको
तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादरियों के
फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का
स्वागत मेरी मधुशाला ।
4
दुतकारा मन्दिर ने मुझको
कहकर है पीनेवाला,
ठुकराया ठाकुरद्वारे ने
देख हथेली पर प्याला,
कहाँ ठिकाना मिलता जग में
भला अभागे काफ़िर को ?
शरणस्थल बनकर न मुझे यदि
अपना लेती मधुशाला ।
कहकर है पीनेवाला,
ठुकराया ठाकुरद्वारे ने
देख हथेली पर प्याला,
कहाँ ठिकाना मिलता जग में
भला अभागे काफ़िर को ?
शरणस्थल बनकर न मुझे यदि
अपना लेती मधुशाला ।
5
पथिक बना मैं घूम रहा हूँ,
सभी जगह मिलती हाला,
सभी जगह मिल जाता साकी,
सभी जगह मिलता प्याला,
मुझे ठहरने का, हे मित्रो,
कष्ट नही कुछ भी होता,
मिले न मन्दिर, मिले न मस्जिद,
मिल जाती है मधुशाला ।
सभी जगह मिलती हाला,
सभी जगह मिल जाता साकी,
सभी जगह मिलता प्याला,
मुझे ठहरने का, हे मित्रो,
कष्ट नही कुछ भी होता,
मिले न मन्दिर, मिले न मस्जिद,
मिल जाती है मधुशाला ।
6
मुसलमान औ' हिन्दू हैं दो,
एक, मगर, उनका प्याला,
एक मगर, उनका मदिरालय,
एक, मगर, उनकी हाला;
दोनों रहते एक न जब तक
मस्जिद - मन्दिर में जाते ;
बैर बढ़ाते मस्जिद - मंदिर,
मेल कराती मधुशाला !
एक, मगर, उनका प्याला,
एक मगर, उनका मदिरालय,
एक, मगर, उनकी हाला;
दोनों रहते एक न जब तक
मस्जिद - मन्दिर में जाते ;
बैर बढ़ाते मस्जिद - मंदिर,
मेल कराती मधुशाला !
7
कोई भी हो शेख नमाजी
या पंडित जपता माला,
बैर भाव चाहे जितना हो,
मदिरा से रखनेवाला,
एक बार बस मधुशाला के
आगे से होकर निकले,
देखूँ कैसे थाम न लेती
दामन उसका मधुशाला ।
या पंडित जपता माला,
बैर भाव चाहे जितना हो,
मदिरा से रखनेवाला,
एक बार बस मधुशाला के
आगे से होकर निकले,
देखूँ कैसे थाम न लेती
दामन उसका मधुशाला ।
8
कभी नहीं सुन पड़ता, 'इसने,
हा, छू दी मेरी हाला',
कभी न कोई कहता, 'उसने
जूठा कर डाला प्याला';
सभी जाति के लोग यहाँ पर
साथ बैठकर पीते हैं;
सौ सुधारकों का करती है
काम अकेली मधुशाला ।
हा, छू दी मेरी हाला',
कभी न कोई कहता, 'उसने
जूठा कर डाला प्याला';
सभी जाति के लोग यहाँ पर
साथ बैठकर पीते हैं;
सौ सुधारकों का करती है
काम अकेली मधुशाला ।
9
नाम अगर पूछे कोई तो
कहना बस पीनेवाला,
काम ढालना और ढलान
सबको मदिरा का प्याला,
जाति, प्रिये, पूछे यदि कोई,
कह देना दीवानों की,
धर्म बताना, प्यालों की ले
माला जपना मधुशाला ।
कहना बस पीनेवाला,
काम ढालना और ढलान
सबको मदिरा का प्याला,
जाति, प्रिये, पूछे यदि कोई,
कह देना दीवानों की,
धर्म बताना, प्यालों की ले
माला जपना मधुशाला ।
10
और चिता पर जाय उड़ेला
पात्र न घृत का, पर प्याला,
घन्ट बंधे अंगूर लता में,
मध्य न जल हो, पर हाला,
प्राणप्रिये, यदि श्राद्ध करो तुम
मेरा, तो ऐसे करना -
पीनेवालों को बुलवाकर,
खुलवा देना मधुशाला ।
पात्र न घृत का, पर प्याला,
घन्ट बंधे अंगूर लता में,
मध्य न जल हो, पर हाला,
प्राणप्रिये, यदि श्राद्ध करो तुम
मेरा, तो ऐसे करना -
पीनेवालों को बुलवाकर,
खुलवा देना मधुशाला ।
कृपया घर मे रहिये सुरक्षित रहिये
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