कुछ एक पल में कई बार हम सदियां जी लेते है।
अपनी मोहब्बक्त को करीब पाकर हम यूही मुस्कुरा लेते है।
यू तो वो रात उसके नाम की थी पर उस रात की कहानी लिखने का हक़ मेरे पास था... मुझे ये तो समझ आ चुका था कि मेरी कहानियों में वो खोने लगी है। वो तलाशने लगी थी खुद को मेरे हर लफ्ज़ में, जैसे उसे समझ आ गया था वो कॉलेज वाली लड़की कोई और नही बल्कि वो खुद है और जिसकी तारीफ में मैं अपनी पहचान तक भूल गया वो तारीफ उसी की है, उस रात वहां से निकलने से जरा पहले ही उसकी और मेरी नजरे टकरायी और ऐसा लगा जैसे पलके एक बार से दूसरी बार झपकने के बीच में जो वक़्त लेती है वो वक़्त वही ठहर सा गया हो, जैसे उस वक़्त आस-पास जो कुछ भी हो रहा था सब थम सा गया था। इतने में किसी ने मुझे आवाज़ दी और मैं जैसे किसी ख्वाब से वापस आया था, अब जैसे तैसे उस पार्टी को खत्म कर के मैं अपने रूम पर पहुचा पर उस कमबख्त रात ने जैसे ना गुजरने का फैसला कर रक्खा था। उस रात को गुजरने में अभी कुछ समय और बाकी था और मैं ख्यालो से गुफ्तगू करने में व्यस्त था कि इतने में मेरे फ़ोन पर एक मैसेज आया...
Chapter - 4
नखरा !...
उस पार्टी वाली रात की थकान के बाद कि अगली सुबह ना चाहते हुए भी बहुत हड़बड़ी वाली थी। मैं हर रोज़ के ही वक़्त पर सुबह उठा पर आज मैं कुछ इतनी जल्दी में था कि आज मैंने अपने दोस्तो के साथ का इंतज़ार तक नही किया, और अकेले ही कॉलेज निकल गया। मेरा हाल कुछ ऐसा था, की जैसे मैंने किसी को वक़्त दे रक्खा हो, कोई मेरे इंतज़ार में हो जैसे। हड़बड़ी कुछ ऐसी थी कि मैं रिक्शे वाले को बिना पैसे दिए ही जाने लगा, पर मेरी जल्दबाज़ी अचानक थम सी गयी जब मैं कॉलेज में पहुचा और वहां उसकी स्कूटी नही थी और मेरी नज़र मेरी घड़ी पर गयी और मैंने देखा की अभी तो 9 ही बजे है।
अब मेरा हाल कुछ ऐसा था कि,
इतने में पीछे से मेरे सारे दोस्त आ गए, वो सब मुझे वहां देखकर चौक गए और सब पूछने लगे कि तू यहां पहले से आकर क्या कर रहा है...
'अब उन्हें ये कैसे बताउ मैं की कल रात को उसका मैसेज आया था मेरे पास की आज मिलना है।' तो मैंने उनसे कहा कि यार एक नोट्स लेना था इसलिए पहले ही आ गया। अभी हमसब बात ही कर रहे थे कि इतने में वो अपनी स्कूटी से वहां पहुची, एक लड़की उसके साथ अक्सर हुआ करती थी लेकिन आज वो अकेले ही आयी थी। मैं दोस्तो से नजरें चुराते हुए उसकी तरफ जैसे ही मुड़ा उसने अपनी चुलबुली सी आंखों से मुझे इशारा किया और इशारों में उसने मुझे कॉलेज की छत पर बुलाया। अब समस्या ये की दोस्तो से अलग निकलकर जाए कैसे, मैं कोई भी बहाना करता वो सब उसमे साथ आने की बात करते तो मैंने बोल दिया कि भाई तुमलोग रुको मुझे सीनियर्स से थोड़ा काम है, मैं मिलकर आता हूं। फिर क्या हा भाई बड़े आदमी, हा भाई अब हमारे साथ कहा रहोगे, ये वो और मैं अपनी ही धुन में छत की तरफ बढ़ गया।
हाल कुछ ऐसा था कि जैसे एग्जाम देने के लिए क्लास की तरफ बढ़ तो रहे हो पर याद कुछ भी ना हो...
और दिमाग मे उठ रहे लाखो सवालो से लड़ते हुए मैं ऊपर छत पर पहुचा और देखा की वो मुँह फेरे हुए सीढ़ियों से थोड़ी दूरी पर खड़ी थी। जैसे ही मैं ऊपर पहुँचा तो शायद मेरे जूतों की आवाज सुनकर वो थोड़ी हलचल में आई और पलटकर मेरी तरफ घूम गयी।
मैं थोड़ी ढली हुए आवाज में शरारत के लिए उससे बोला "good morning mam"
ये सुनकर उसने कहा "अच्छा तो याद है कि तुम जूनियर हो और मैं सीनियर"
मैं बोला "बिल्कुल याद क्यों नही रहेगा"
फिर उसने कहा "अगर ऐसा है तो पूरे कॉलेज के सामने मेरे बारे में तुम कैसे बोल सकते हो?"
मैं बोला "मैंने क्या बोल दिया"
तो वो कहने लगी "मुझे सब पता है तुम्हारे दिमाग मे क्या चल रहा है, तुम ये जो बातों को गोल-गोल घूमाते हो न इसका मुझपर कोई असर नही होने वाला है"
मैं बोले
जुबा से झूठ कहने वाले आंखों से सच्चाई बयां करते है।
हम तो शायर है बस खुद के दिल का हाल बयां करते है।
उसने कहा "बस यही तुम कभी कुछ भी साफ-साफ नही कहते हो।"
मैने कहा "तुम सुन्ना क्या चाहती हो।"
उसने कहा "बस यही की मेरे बारे में लिखना बन्द कर के अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, और मुझसे थोड़ी दूरी बनाकर रखो।"
पता नही क्यों पर उसके हाव-भाव उसकी बातों के साथ मेल नही खा रहे थे, उसकी आंखें, उसका चेहरा जैसे उसके होठो का साथ नही दे रहे थे और इतने में वो वहां से चली गयी।
Chapter -5
तकरार !...
मेरे कॉलेज के कुछ सीनियर्स को ये पता लग गया था कि मैं उनके साथ पढ़ने वाली किसी लड़की को परेशान कर रहा हू, इसके लिए उन्होंने मुझे कॉलेज के बाहर घेर लिया और...
Mst bhai
ReplyDeleteDhnywaad yaara... Bss aap aise hi review dete rhiye...🙏
DeleteJabrdast hai bhai
ReplyDeleteDhnywaad... Abi kahani me bhut twist aane waale h🤗
DeleteExtraordinary lines....
ReplyDeleteDhnywaad...
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